मवेशियों के अवैध व्यापार पर सरकार सख्त, लगाया बैन



पर्यावरण मंत्रालय ने पशु बाजार में जानवरों के कत्ल करने के मकसद से बेचे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह नियम पूरे देश में लागू होगा। इसके साथ ही अब मवेशियों को खरीदने वालों को अब एक घोषणा पत्र देना होगा, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बेचे जाने वाले जानवरों का कत्ल नहीं किया जाएगा। इस कदम को मोदी सरकार की गायों को बचाने की भावनात्मक कवायद के रूप में भी देखा जा रहा है। इस फैसले को अमल में लाने के लिए 3 महीने का वक्त दिया गया है। 
पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख्त 'पशु क्रूरता निरोधक: पशुधन बाजार नियमन: नियम, 2017' को जारी किया है। इस श्रेणी में गाय, बैल, भैंस, ऊंट, सांड, बछिया, बछड़े आदि को शामिल किया गया है। वहीं, इसमें भेड़ और बकरों को शामिल नहीं किया गया है, जिनकी आम तौर पर ईद के वक्त कुर्बानी होती है। बता दें कि आधिकारिक तौर पर पशुओं के साथ होने वाली क्रूरता को रोकने और अवैध पशु व्यापार पर नकेल कसने के लिए यह नियम जारी किया गया है। 

इस फैसले की राजनीतिक एंगल से भी समीक्षा की जा रही है। माना जा रहा है कि यह गाय और गोवंश के अन्य जानवरों के संरक्षण की बीजेपी की राजनीतिक प्रतिबद्धता की दिशा में एक कदम है। उत्तर प्रदेश चुनाव के प्रचार के दौरान ही बीजेपी ने अवैध बूचड़खानों को बंद कराने का वादा किया था। योगी सरकार ने इस दिशा में काफी आक्रामक तरीके से काम किया। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा भी था कि हमारा उद्देश्य 'पशु व्यापार' की जगह 'पशु धन' को बढ़ाना है। 

*पशु निर्यातक जहां सरकार के इस फैसले के विरोध में हैं*, वहीं जानवरों के संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं ने इसका स्वागत किया है। पशु व्यापारियों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से उनका व्यापार बुरी तरह से प्रभावित होगा। पहले ही बीजेपी सरकार के फैसलों और नीतियों के कारण मांस व्यापारियों के सामने काफी मुश्किलें हैं। वहीं, पीपल फॉर एनिमल (PFA) के ट्रस्टी गौरी मुलेखी ने कहा, 'मंत्रालय के इस कदम की हम सराहना करते हैं। लाचार मूक पशुओं के संरक्षण के लिए यह एक बेहतर कदम है।'

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